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Best Diet For Burns Patient, Typhoid Patient, Jaundice ( Piliya) Patient

Best Diet For Burns Patient, Typhoid Patient, Jaundice ( Piliya) Patient In Hindi |Piliya Patient Best Diet | Hindi Me Typhoid patient ke liye sahi aahar 

रोगी के लिए जितनी दवाएं जरूरी हैं , उतना ही उसका खान -पान।  जब भी डॉक्टर किसी मरीज के लिए दवाएं बता चुके होते हैं , घर के लोगों का पहला सवाल होता है - इन्हें खाने में क्या देना है ? यकीन कीजिए , इस सवाल का जवाब , दवाओं के बराबर ही अहम है। आमतौर पर जिन बीमारियों के दौरान खान -पान में लापरवाही या यूं कहें कुछ कमी रह जाती है मैं आपको उन खास स्थितियों के बारे में जानकारी दूगी।

बर्न्स के मरीज
कैसा महसूस करता है मरीज
सबसे पहले यह जान लें कि शरीर का कोई भी हिस्सा जला हो , जलन का अहसास तीव्र ही होता है।  दूसरी बात , जलन को दर्द निवारक दवाएं कुछ हद तक ही कम कर पाती हैं। इसलिए मरीज़ को लगातार बेचैनी और चिड़चिड़ाहट होती रहती है। ऐसे में खाने -पीने का बहुत मन करे , इसकी संभावनाएं कम ही हैं।

बर्न्स के मरीज की जरूरतें
ऐसे मरीजों में संक्रमण की आंशका बहुत अधिक रहती है , इसलिए बर्नस कितने भी हों , मरीज को अस्पताल में रहना ही पड़ता है। बस  , यह देखना होगा कि मरीज़ को ट्यूब से खाना देना है या मुंह से।  जलने के शिकार हुए मरीज़ों के शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है।  और इसमें ऊर्जा और प्रोटीन की आवश्यकता स्वस्थ इंसान से दोगुनी हो जाती हैं। अगर जले हुए हिस्से की जल्दी हीलिंग करनी है , तो दवाओं और साफ -सफाई से देखभाल के साथ साथ भरपूर ऊर्जा व प्रोटीन देना ज़रूरी है।  प्रोटीन का सही उपयोग तभी होता है , जब साथ में कार्बोज ( अनाज ) व फैट ( तेल या घी ) से भी ऊर्जा मिले।

क्या खाने को दिया जाए
यदि मरीज़ मुंह से खा पा रहा हो , तो श्रीखंड , खीर ( एक्स्ट्रा  घी या तेल के साथ दूध पाउडर वाली ) आदि दिए जा सकते हैं यदि मरीज़ को ट्यूब से खाना दिया जा रहा हो , तो मिक्सी में 200 मिली दूध व एक पकी हुई चपाती डालें।  इसमें दो चम्मच शक्कर डालें और पीस लें। पतला हो जाने पर इसमें दो छोटे चम्मच घी डालें और मरीज़ की ट्यूब में डालें। इससे लगभग 10 ग्राम प्रोटीन और 360 कैलोरी मरीज़ को मिलेंगी। नमकीन के लिए चपाती के साथ पकी हुई दाल भी पीसकर , छानकर व दो छोटे चम्मच तेल मिलाकर मरीज़ को दी जा सकती है।

सावधानी
जिस प्रकार का भी मिश्रण आप मरीज़ को दे रहे हों ,उसके बारे में डॉक्टर को जरूर बता दें और जब ट्यूब से खाना खिलाएं, तो अस्पताल के किसी जिम्मेदार व्यक्ति की मौजूदगी में खिलाएं।

आम भूलें
दाल का पानी , चिकन या मिट का सूप देने से प्रोटीन मरीज़ को नहीं मिलता।  प्रोटीन पानी में नहीं घुलता , इसलिए जब तक इन वस्तुओ को पानी में पीसा नही जाएगा , मरीज़ को केवल नमकीन पानी ही मिलेगा।


पीलिया के मरीज़
कैसा महसूस करता है मरीज़
पहले यह समझें कि पीलिया लिवर के प्रभावित होने की स्थिति होती है , लिहाज़ा रोगी को भूख बिल्कुल नहीं लगती। त्वचा पर पीलापन रहता है।  कमजोरी और मितली आना अन्य स्थितियां हैं। पेट में जलन भी हो सकती है।

मरीज़ की जरूरतें
लिवर के रोगग्रस्त होने के कारण मरीज़ के लिए कार्बोज , खनिज और पानी की आवश्यकता काफी होती है।  यह स्थिति काफी संभालकर चलने वाली होती है। अगर बिलीरुबिन की मात्रा , जांचो में ज्यादा आती है , तो डॉक्टर प्रोटीन की मात्रा को भोजन में कम करके देने के लिए कह सकते हैं , इसका ख्याल रखें।

क्या खाने को दें
केले का शेक, मीठा नींबू पानी, डबल रोटी - जैम , फल और कस्टर्ड , नॉनस्टिक में बनी आलू की टिक्की ( कम तेल वाली ) उबले आलू व केले की चाट मरीज़ को खाने को दी जा सकती है।

सावधानियां
ख्याल रहे कि पीलिया के मरीज़ को तेल कम ही देना होता है।  तेल की चयापचयी प्रक्रिया लिवर द्वारा संपन्न होती है और लिवर अभी यह करने में सक्षम नहीं होता।  केवल ग्लूकोज़ और फलों के जूस देने से मरीज़ को कोई लाभ नहीं होता।

टायफाइड के मरीज़
कैसा महसूस करता है मरीज 
लम्बी अवधि के बुखार को टायफाइड कहते हैं।  इस स्थिति में मरीज़ बेहद कमजोर हो चुका होता है। लम्बे समय से दवाइयां खाते रहने के कारण भोजन से उसकी पूर्ण अरुचि हो चुकी होती है। आंतो में फोड़े , बुखार और पेट में जलन टाइफाइड में मरीज़ की सामान्य स्थिति होती है। 

मरीज़ की जरूरतें 
टाइफाइड के मरीज़ो के बारे में आपने सुना होगा कि इनके बाल झड़ जाते हैं। ऐसा प्रोटीन की कमी के कारण होता है। रोगी को इस स्थिति में प्रोटीन काफी मात्रा में चाहिए होता है। पेट में जलन के कारण ठंडी वस्तुओं की भी जरूरत होती है। 

क्या खाने को दें 
थोड़ी -थोड़ी देर में यानी करीब तीन -तीन घंटे पर मरीज़ को कुछ न कुछ खाने को दें। गाढ़ी खिचड़ी , जिसमें देर सारा घी डाला गया हो , रसगुल्ले , नरम मीठा चावल , नरम सब्जियों का पुलाव आदि मरीज़ को दें।  खाने को नरम वस्तुएं ही देनी हैं, यह ध्यान रखे। ऊर्जा यानी तेल - घी का ध्यान रखना है। 

सावधानी 
तली हुई वस्तुएं रोगी को न दें यह उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।