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कानदर्द होने पर तेल न डालें

कानदर्द होने पर तेल न डालें 

कान में अचानक दर्द होना एक आम समस्या है । यह तकलीफ आमतौर पर बच्चो को होती है । इसमें बच्चा कानदर्द की वजह से रात को उठकर रोने लगता है और माता - पिता परेशान हो जाते हैं । आइए आपको बताते है यह दर्द क्यों होता है ।  

ज्यादा दिनों तक सर्दी और जुकाम रहने से नाक के पिछले भाग से कान तक आने वाली यूस्टेकियन ट्यूब सही से काम करना बंद कर देती है जिससे संक्रमण व सूजन आ जाती है और द्रव्य बढ़ने से कान में दबाव असामान्य हो जाता है । बच्चो में यह ट्यूब छोटी व सीधी होने से नाजुक होती है ,इसलिए उन्हें कान का दर्द ज्यादा होता है । बुखार , चिड़चिड़ाहट , दस्त , उल्टी , सुनाई में कमी और कान में भारीपन होने लगता है । कान में फुंसी , मैल का फूलना , सूजन , गले, दांत व जबड़ो की तकलीफ की वजह से भी कान में दर्द हो सकता है । 

अनदेखी न करें 
दर्द को नजरअंदाज करने से कान में दबाव बढ़ने लगता है जिससे पर्दे में छेद हो सकता है । कई बार इस संक्रमण की लगातार अनदेखी से दिमाग व कान के पीछे की मेस्ट्राइड हड्डी प्रभावित होती है । 

न पालें भ्रम 
कई बार माता - पिता बच्चे की तकलीफ देखकर उसके कान में गर्म तेल की बूंदे डाल देते है जिससे कुछ समय के लिए आराम तो मिलता है लेकिन बाह्रा संक्रमण का खतरा रहता है । 

इलाज 
इसके उपचार के लिए दर्द निवारक, एंटीबायोटिक , एंटीएलर्जिक ,एंटीकोल्ड  दवाइयें दी जाती है । नाक में स्थित यूस्टेकियन ट्यूब की सूजन को कम करने के लिए डिकंजेस्टेट ड्रॉप देते है । बार - बार कान के पर्दे के पीछे द्रव्य जमा होने पर पर्दे में वेंटिलेसन ट्यूब लगाकर उपचार किया जाता है । 

ध्यान दें 
धूल और धुएं से बचें । खट्टी व फ्रिज की ठंडी चीजों से परहेज करें । ईयरबड्स या तीली आदि का प्रयोग न करें । छोटे बच्चों को केवल मां का दूध पिलाएं और माएं उन्हें लेटाकर दूध न पिलाएं । फीड कराते समय बच्चे का सिर थोड़ा ऊंचा रखें । गंदगी व भीड़ भाड़ वाली जगहों पर न जाएं । रोग से ग्रस्त व्यक्ति स्विमिंग और हवाई यात्रा न करें ।