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How To Take Care Of Acidity( Gas ,Khatti Dekare )

How To Take Care Of Acidity( Gas ,Khatti  Dekare ) In Hindi | Acidity Problem Solution In Hindi |  गैस, खट्टी डकारें जैसी समस्या से निजात 

अपच की समस्या आज बेहद आम हो गई है।  खानपान की अनियमितता ही अपच का मुख्य कारण है। पेट दर्द , खट्टी डकारे आना , छाती में जलन और गैस , अपच के सामान्य लक्षण हैं आज की जीवनशैली में व्यक्ति घर का भोजन करने के स्थान पर बाहरी खाने पर ज्यादा निर्भर होता है।  ऐसे में अनाप - शनाप जो भी मिले खाता रहता है , जो बिल्कुल भी उचित नहीं है।  घर के बाहर का भोजन भी अपच के कारणों में शामिल है। यह समस्या ऐसी है , जो हर उम्र वर्ग के महिला - पुरुष और बच्चों को प्रभावित करती है।  जबकि बेहद आसान तरीकों की मदद से अपच की समस्या से दो -दो हाथ किए जा सकते हैं।  लक्षणों के आधार पर अपच या गैस का उपचार होना चाहिए

खट्टी डकारें आना
कुछ लोग शिकायत करते हैं कि उन्हें खट्टी डकार ने परेशान कर रखा है। आमतौर पर लोग भोजन करने या पेय पीने में जल्दबाजी बरतते है , जिसकी वजह से आहार नली में अवरोध उत्पन्न होता है।  नतीजन, डकार की समस्या उत्पन्न होती है।  कार्बोनेट ड्रिंक्स ( आम भाषा में सोडा वाली ड्रिंक्स ) का ज्यादा सेवन , धूम्रपान और च्यूइंगम चबाने जैसे आम कारणों से भी डकार की समस्या उत्पन्न होती है।  धूम्रपान करने वाले लोगो को ज्यादा डकार आती है। 

डकार को सामान्य नहीं मानना चाहिए। यह संकेत है हमारे शरीर के कुछ खास अंगो के ढंग से काम न कर पाने का।  यदि खाने की नली और थैली के बीच का वॉल्व ढीला पड़ जाए , तो भी डकार आती है मेडिकल साइंस में इस स्थिति को ' हाइट्स हार्निया ' के रूप में पहचाना जाता है , जिसका उपचार शल्यक्रिया से ही संभव है।  खट्टी डकार के उपचार के कई आसान विकल्प मौजूद हैं।  थोड़ा - सा ( चुटकी भर ) बेकिंग सोडा पानी में घोलकर पीने से भी डकार आनी बंद हो जाती है।  इसके अलावा खाना चबाकर खाएं और धीरे - धीरे पानी पिये।  च्यूइंगम और कार्बोनेटेड पेय पदार्थ आदि के सेवन से बचें।  डकार आने की समस्या यदि बार - बार हो , तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।  हो सकता है कि हाइट्स हार्निया की वजह से हो। कोई पेट की बीमारी पहले से है तो उपचार कराएं।  

पेट फूल जाना 
आश्चर्यजनक रूप से जब पेट में गैस बढ़ जाती है , तो पेट फूल-सा जाता है।  शोधकर्ताओं के मुताबिक जब आंत के अंदरुनी भाग ( नलिकाओं में ) में अतिरिक्त गैस पहुंच जाती है , तो पेट फूलने जैसी स्थितियां बनती है।  या फिर आंतो में किसी तरह की रुकावट भी पेट फूलने का कारण बन सकती है।  दरअसल , आंतो में मौजूद 20  से 60 प्रतिशत गैस का हिस्सा अतिरिक्त रूप से निगली हुई गैस का होता है।  हम जानते हैं कि हमारे शरीर में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैसे ही मौजूद होती है।  इसके अलावा कोई भी गैस हमारे शरीर के अंदर मौजूद नहीं होती , सिवाय निगली हुई अतिरिक्त गैस के।  बाहर नहीं निकल पाने की स्थिति में यही गैस आंत और पेट में भर जाती है।  इसे गैस्ट्रिक बबल सिंड्रोम कहा जाता है। 

गैस से पेट फूल जाने पर रोगी को पेट दर्द महसूस होता है और बार - बार मोशन का अहसास होता है। पेट फूलने के सामान्य उपचारों में फाइबर , ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन और मल को मुलायम बनाने वाले भोज्य पदार्थ लेने चाहिए।  इसके अलावा जा सकता है।  यदि आपको इरिटेबल बाउल सिंड्रोम ( आईबीएस ) की शिकायत है , तो उसका नियमित इलाज भी इस समस्या का अंत कर सकता है। साथ ही शरीर में ग्लुटानप्रोटीन और लेक्टोज़ की मात्रा की जांच कराना भी आवश्यक होता है। 

क्या करें ? 
सबसे पहले अपने आहार में जरूरी परिवर्तन करें। कार्बोनेटेड पेय पदार्थ कम से कम लें। दाले , खासकर तुअर की दाल भी गैस का कारण बनती है।  इसलिए इसका संतुलित सेवन करें। खाना खाने के बाद थोड़ी देर यदि वज्रासन में बैठने से अपच या गैस की समस्या नहीं होती। 
वजन कम करें और नियमित व्यायाम का सहारा लें। 
कोशिश करें कि प्रतिदिन नियत समय पर ही भोजन करें। 
सुबह और शाम के भोजन के बीच लंबा अंतराल न रखें , बल्कि बीच -बीच में कुछ न कुछ खाते रहें। 
बैक्टीरिया की पहचान हो जाने पर डॉक्टरी परामर्श से एंटीबायोटिक लें। 
संतुलित आहार लें।  अति की स्थिति से बचें। 
भोजन के बाद थोड़ी देर जरूर टहलें , इससे पाचन में आसानी होगी और गैस या अपच की दशा नहीं आएगी।