Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Karwa Chauth Katha In Hindi |करवा चौथ कथा

Karwa Chauth Katha In Hindi |करवा चौथ कथा | Karva Chauth Vrat Katha | Karwa Chauth Hindi Katha | 




कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को करवा चौथ का व्रत किया जाता है | यह स्त्रियों का मुख्य त्यौहार है | सुहागिन स्त्रियाँ  अपने पति की दीर्घ आयुके लिए यह व्रत करती है| 

एक साहूकार का सात लड़के और एक लड़की थी |सेठानी के सहित उसकी बहुओ और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था | रात्रि को साहूकार के  लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा | इस पर बहन ने उत्तर दिया_ भाई ! अभी चाँद नही निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्र्य देकर भोजन करुँगी

बहन की बात सुनकर भाइयो ने क्या काम किया की नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमे से प्रकाश दिखाते हुए उन्होंने बहन से कहा - बहन ! चाँद निकल आया है, अर्घ्र्य देकर भोजन जिम लो | यह सुन उसने अपनी भाभियो से कहा की आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्र्य दे लो, परन्तु वे इस कांड को जानती थी उन्होंने कहा बहनजी ! अभी चाँद नही निकला, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे है | भाभियो की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान दिया और भाइयो द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्घ्र्य देकर भोजन कर लिया

इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेशजी उस पर अप्रसन्न हो गए इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया |

जब उसे अपने किये हुए दोषो का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया | गणेश जी की प्रार्थना करते हुए बिधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया | श्रदा अनुसार सबका आदर करते हुय सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया | इस प्रकार उसके श्रदा भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान देकर उसे आरोग्य करने के पश्चात धन-सम्पति से युक्त कर दिया | इस प्रकार जो कोई छल -कपट को त्याग कर सरदा -भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे वे सब प्रकार से सुखी होते हुए क्लेशो से मुक्त हो जायेगे |