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Migraine (Headache ) Problems In Children | Migraine Symptoms, Causes, Types, Treatment

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माइग्रेन की समस्या केवल बड़ो तक ही सीमित नही रह गयी है| इसका खतरा अब बच्चो पर भी मंडराने लगा है |लगभग 10  प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चे इस बीमारी से पीड़ित है | आधे से ज्यादा बच्चो को 12  साल से पहले ही माइग्रेन अटैक हो जाता है| जानते है इसके प्रमुख कारणों और बचाव के बारे में.……। 

माइग्रेन एक मस्तिष्क संबंधी बीमारी है | इसके लक्षणों में सिरदर्द, एक तरफ सिरदर्द, उलटी,चककर  मूड  में बदलाव, प्रकाश और ध्वनि में संवेदनशीलता आदि है बच्चो में यह व्यस्को की तरह लम्बे समय तक नही रहता | लेकिन यह बच्चे के सामान्य जीवन को बाधित कर देता है | 

इस बीमारी के विभिन्न प्रकारों में से एक कार्निक  डेली माइग्रेन है जिससे किशोरों को एक दिन में चार से अधिक घंटे तक दर्द रहता है | सिरदर्द के आलावा ट्रिगर माइग्रेन के अन्य बहुत से कारण है जैसे स्पीकिंग पैटर्न में गड़बड़ी, पानी की कमी और जंक फ़ूड की अधिकता आदि |बच्चे अधिक समय तक टीवी स्क्रीन या कंप्यूटर के सामने बैठते है जिससे चमक और झिलमिलाहट उनकी दृष्टि को प्रभावित करती है और माइग्रेन को बढ़ती है | 

जिन बच्चो के परिवार में किसी को माइग्रेन की समस्या हो तो इस रोग की आशंका बड़ जाती है | ऐसे में माता-पिता बच्चे की सिरदर्द की शिकायत को नजरअंदाज न करे और विशेषज्ञ की सलाह से खून की जाँच, ईजी,लंबर पंचर और न्यूरोइमेजिंग  आदि से सिरदर्द की वजह का पता लगाएं | 

माइग्रेन के लिए महत्वपूर्ण है इसका प्रबंधन | लड़कियों में इसका अटैक होना माहमारी  के साथ जुड़ा होता है | आमतौर पर तीन प्रकार की पद्ति माइग्रेन के उपचार में प्रयोग की जाती है सबसे पहले एक्यूट उपचार जिसमे लक्षणों के अनुसार दवा दी जाती है | दूसरा निवारक उपचार है जो की माइग्रेन अटैक की संख्या को कम करने में मदद करता है | तीसरा पूरक उपचार होता है जिसमे दवाओ को इस्तेमाल नही होता है | इसमें व्यवहार चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, व्यायाम, उचित आराम और आहार के माध्यम से माइग्रेन को नियंत्रित  किया जाता है ।