Karwa Chauth Kahani In Hindi |करवा चौथ - वीरावती कहानी ।Karwa Chauth Hindi Katha | Kahani Karwa Chauth | Karwa Chauth Viravti Kahani |
प्राचीन काल में द्विज नमक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या थी| वीरावती प्रथमवार करवा चौथ व्रत के दिन भूख से व्याकुल हो पृथ्वी पर मूर्छित हो कर गिर पड़ी, तब सब भाई यह देख कर रोने लगे और जल से मुँह धुलाकर एक भाई वट के वृक्ष पर चढ़कर छलनी में दीपक दिखाकर बहन से बोले की चन्द्रमा निकल आया |
उस अग्निरूप को चन्द्रमा समझकर दुःख छोड़ वह चन्द्रमा को अर्घ्व देकर भोजन के लिए बैठी | पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक हुई, तीसरे कौर में सुसराल से बुलावा आ गया | सुसराल में उसने देखा की उसका पति मरा पड़ा है, संयोग से वह इन्द्राणी आई और उन्हें देखकर विलाप करते हुए वीरवती बोली की हे माँ ! यह किस अपराध का मुझे फल मिला | प्रार्थना हुए बोली की मेरे पति को जिन्दा कर दो |
इन्द्राणी ने कहा की तुमने करवा चौथ व्रत बिना चन्द्रोय चन्द्रमा के अर्घ्य दे दिया था यह सब उसी के फल से हुआ अतः अब तुम बारह माह के चौथ के व्रत व् करवा चौथ को श्रदा और भक्ति से विधिपूर्वक करो तब तुम्हारा पति पुनः जीवित हो उठेगा ।
इन्द्राणी के वचन सुन वीरावती ने विधि पूर्वक बारह माह के चौथ और करवा चौथ व्रत को बड़ी भक्ति -भाव से किये और इन व्रतों के प्रभाव से उस का पति पुनः देवता सहश जीवित हो उठा । उसी दिन से यह करवा चौथ मनाई जाती है और व्रत रखा जाता है ।
हे माता " जैसे तुमने वीरावती के पति की रक्षा की वैसे सबके पतियों की रक्षा करना ।"