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Incomplete Medicine Course, Increase Problems

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हममें से अधिकांश लोग समस्या के गम्भीर रहने तक ही दवाओं की ख़ुराक और वक़्त को लेकर गम्भीर नजर आते हैं।  परेशानी कम हुई नहीं कि दवा लेने के प्रति लापरवाह हो जाते हैं।  वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ज्यादा एंटीबायोटिक्स शरीर को नुक़सान पहुंचाते हैं , इसलिए डॉक्टर पांच दिन की दवा लिखे, तो तीन दिन की ही खाओ।  जबकि दवाओं ( ख़ासकर एंटीबायोटिक्स ) की अधूरी ख़ुराक आपकी मुसीबतें बढ़ा सकती है।  ग़ौर कीजिए , यह गलती कितनी भारी पड़ सकती है।

मरीज़ को दी जाने वाली दवाओं की ख़ुराक मर्ज़ और उसकी गम्भीरता पर निर्भर करती है यदि दवा की ख़ुराक बीच में ही छोड़ दी जाये, तो रोग जड़ से नहीं मिटेगा।  स्वाभाविक है कि इस स्थिति में मर्ज़ वापस लौटेगा।  उदाहरण के लिए किसी को वायरल है , तो एंटीबायोटिक्स के असर के कारण रोगाणु मरेंगे और संक्रमण कम होगा।  ऐसे में दवाओं की की ख़ुराक अधूरी छोड़ दी, तो बच गए रोगाणु अपनी संख्या बढ़ाकर दोबारा धावा बोलेंगे।  वहीं कमज़ोर हो चुका शरीर उनका सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होगा , तो परेशानी और बढ़ेगी। 

आम धारणा है कि एंटीबायोटिक दवाएं लेने से किडनी, लीवर , ह्रदय आदि को नुकसान पहुंच सकता है।  साथ ही इन दवाओं के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।  जबकि पूरा सच है कि एंटीबायोटिक के दुष्प्रभावों का सामना तब करना पड़ता है , जब उनका सेवन आवश्यकता से अधिक मात्रा में किया जाए।  डॉक्टर मरीज की जरूरत के आधार पर एंटीबायोटिक की ख़ुराक निर्धारित करते हैं , इसलिए उनके द्वारा सुझाई गई दवाओं की पूरी ख़ुराक लेने पर नुकसान नहीं पहुंचेगा। 

पहली बार कोई रोग सताए, तो कम पावर की एंटीबायोटिक दवाओं से फ़ायदा मिल जाता है। लेकिन उसी मर्ज़ के लौटने या दोबारा होने की स्थिति में मरीज पर पहले दी गई दवाओं से ज्यादा पावर ( क्षमता ) वाली एंटीबायोटिक ही असर दिखाती हैं।  यानी यदि आप कम एंटीबायोटिक लेने के चककर में दवाओं का कोर्स पूरा नहीं करते हैं , तो आपको पहले से ज्यादा और अधिक पावर वाली दवाएं लेनी पड़ सकती हैं। 

लक्षण मिटाने वाली दवा लेने से मरीज की पीड़ा कम हो जाती है।  ऐसे में संक्रमण के लक्षण ( पीड़ा - बुखार , दर्द, चककर आना आदि ) नजर नहीं आते, लेकिन अधूरी ख़ुराक के कारण समस्या जड़ से नहीं मिटती।  नतीजतन, शरीर के अंदर सुप्तावस्था में मौजूद संक्रमण भीतर ही भीतर नुक़सान पहुंचता रहता है , लेकिन उसका पता चलने तक साधारण बीमारी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का रूप धर चुकी होती है। 

विभिन्न बीमारियों के लिए जिम्मेदार रोगाणु अपनी क्षमता विकसित करते रहते हैं।  ऐसे में एक सीमा के बाद एंटीबायोटिक भी बेअसर हो जाती हैं। अक्सर देखा गया है कि टायफाइड, पीलिया आदि गम्भीर बीमारियों के शिकार मरीज़ पर एंटीबायोटिक का पर्याप्त असर नज़र नहीं आता।  इसलिए एक बार में दवा की पूरी ख़ुराक लेकर मर्ज़ से निजात पाने में ही समझदारी है। 

दवा की अधूरी ख़ुराक के चलते बच गया संक्रमण शरीर में फैलकर रोगप्रतिरोधक क्षमता कम करता जाता है।  नतीजतन , अन्य रोगों से घिरने की आशंका भी बढ़ जाती है। 

दवाओं की अधूरी ख़ुराक सेहत ही नहीं, आपकी जेब पर भी भारी पड़ती है।  मसलन, टीबी की शुरुआती अवस्था में मरीज़ को 6 महीने तक दवाएं लेने की सलाह दी जाती है , जिनका ख़र्च कुछ हजार रुपयों तक सिमट जाता है।  वहीं दवाओं की पूरी ख़ुराक न लेने पर मरीज़ की स्थिति बिगड़ जाए, तो उसके इलाज में लाखों रुपए ख़र्च हो जाते हैं। 

Microwave Various Uses in hindi

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रसोई में माइक्रोवेव होने से कितनी सहूलियत रहती है न ! मिनटों में खाना पक जाता है।  परोसने का समय आए, तो झट से गर्म भी हो जाता है।  लेकिन यदि आप सिर्फ़ इन्हीं दो कामों के लिए माइक्रोवेव इस्तेमाल करते हैं, तो इसकी मौजूदगी का पूरा पूरा फ़ायदा नहीं उठा रहे है। रसोई के कामों की जंग जीतने में यह नन्हा सिपाही  आपके बड़े काम आ सकता है 

खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले मसाले और बूटियां ( जीरा, साबुत धनिया, जैतून, ऑरिगेनो आदि ) लम्बे समय तक रखे रहने पर अक्सर अपनी खुशबू खो बैठते हैं , माइक्रोवेव इनमें नई जान फूंक सकता है।  बस मसाले को किचन टॉवल में लपेटकर माइक्रोवेव डिश में रखें , फिर ऊपर से पेपर टॉवल से  अच्छी तरह ढंक दें।इसे 20 सेकंड तक माइक्रोवेव कर बाहर निकाल लें।  यदि मसालों में नमी घर कर गई है , तो उन्हें सुखाने के लिए भी यही तरीक़ा आज़मा सकते हैं। 

शहद थोड़ा पुराना हुआ नहीं कि गाढ़ा हो जाता है।  इसे मिनटों में सामान्य बनाने का काम माइक्रोवेव आसानी से कर सकता है।  शहद को 30 सेकंड के लिए माइक्रोवेव करें, फिर बाहर निकालें और चलाकर देखें कि वह ठीक हो गया है या नहीं।  शहद बहुत ज्यादा जम गया है, तो तीन- चार बार यही तरीका आज़माना होगा। 

नींबू से ज्यादा से ज्यादा रस निकलना चाहते हैं, तो काटने से पहले उसे 20 सेकंड माइक्रोवेव करें।  इसी तरह मौसम्बी , संतरा, अंगूर का रस निकालने से पहले भी उन्हें माइक्रोवेव कर ज्यादा रस प्राप्त कर सकते हैं। 

Latest Kitchen Cooking Tips In Hindi

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छोटे मोटे सुझाव भी बड़े -बड़े काम कर जाते है।  एक बार इन्हें भी आज़माकर देखें 

*  बचे हुए इडली / डोसे के घोल के ऊपर यदि पान के पत्ते रख दें, तो घोल खट्टा नहीं होता। 

*  बचे हुए सेंडविच को चौकोर टुकड़ो में काट लें।  सत्तू का घोल बनाएं और इसमें सैंडविच के टुकड़े डूबोकर पकौड़े तल ले।  स्वादिष्ठ पकौड़े मिनटों में तैयार हो जाएंगे। 

*  मूंग दाल के हलवे/ बर्फी की पिट्ठी भुनने से पहले गर्म कड़ाही में घी डालकर दो चम्मच बेसन डाल दें, फिर पिट्ठी डालें।  पिट्ठी तली में नहीं चिपकेगी। 

*  कटहल का अचार बनाने से पहले उसके टुकड़ों को तेल में तल लें, फिर मसाला मिलाएं।  आम के अचार में भी टुकड़े डालने के बजाय आम को छीलकर कदूकस कर लें, फिर डालें।  अचार ज्यादा स्वादिष्ठ बनेगा। 

*  पकौड़ियों के घोल में चुटकीभर हींग व सौंफ डाल दें।  पकौड़िया स्वादिष्ठ बनेंगी।  

How To Race Walk Technique In Hindi

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दौड़ने के सही परिणाम तब ही हासिल होंगे, जब आप इसके नियमों को समझेंगे।  इस उम्दा व्यायाम को शुरू  करने से पहले चंद बातों का ख्याल रखें।  

*  सीधा देखें , सामने की ओर सिर रखकर दौड़े।  पैरों या जमीन को देखकर दौड़ने के प्रयास में आपका शरीर झुक जाएगा , जो ग़लत मुद्रा है। 

*  कंधों को न ताने , इन्हें ढीला छोड़ दें।  कंधों पर अधिक बोझ न डालें। 

* मुट्ठी कसकर बंद न रखें।  मुट्ठी हल्की बंद होनी चाहिए व उंगलियां हथेलियों पर टिकी हुई। 

*  दौड़ते वक़्त बाहों को आगे व पीछे की और घुमाएं। अमूमन लोग दौड़ते समय बांहो को सीने के पास ही रखते है। 

*  पैर जमीन पर पड़ते ही, घुटने हल्के मुड़े हुए होने चाहिए।  घुटनों पर अधिक ज़ोर देकर उन्हें मोड़ने का प्रयास न करें।  

*  न बहुत छोटे क़दम ले और न ही बड़े।  पैर उतने ही ऊपर उठाएं, जितने लम्बे कदम लेने की जरूरत महसूस हो। 

*  घुटनों पर जोर देने के बजाय अपनी पिंडलियों व तलवों पर जोर दें।  ज़मीन से ऊपर की और उछलना है, न कि पैर जमीन से टिकाए रखना है। 

* पैर जब ज़मीन पर रखें तो शरीर को एक सीध में रखना है न कि आगे की ओर। 

*  कोहनी को 90 डिग्री कोण पर झुकाकर रखें , दौड़ते समय आपकी कोहनी सीने व कमर के बीच घूमनी चाहिए। 

*  अपनी गर्दन व मुद्रा एकदम सीधी रखें।  यदि आपके कंधे झुकने लगे तो गति धीमी करें , गहरी सांस लें और फिर दौड़े।  

How To Clean NonStick Utensils

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आज नॉनस्टिक बर्तन रसोई का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।  इनका सही इस्तेमाल और जरूरी देखभाल करेंगे , तो ये आपका दूर तक साथ निभाएंगे। 

नॉनस्टिक बर्तन के ऊपर लगी टेफ्लॉन परत इसकी उम्र भी बढ़ाती है , साथ ही खाने को इससे चिपकने नहीं देती।  इसमें केवल एक बूंद तेल से ही खाना पकाया जाता है।  सम्भव है कि अधिक तेल के प्रयोग से भी आपके बर्तन ख़राब हो सकते है।  वैसे नॉनस्टिक बर्तन हरफनमौला होते हैं।  आप इनमें खाना भी पका सकते हैं।  इसलिए अपनी रसोई में इन्हें जरूर शामिल करें।  हां, थोड़ी देखभाल और समझदारी के साथ। 

सफाई का तरीका 

*  नॉनस्टिक बर्तन को हमेशा साफ - सुथरा रखना बहुत जरूरी है।  यदि ग़लती से भी इस पर चिकनाई छूट जाए , तो वह दस गुना तक बढ़ सकती है।  इससे टेफ्लॉन परत ख़राब होती है और उस पर खाना चिपकने लगता है। 

*  गर्म नॉनस्टिक बर्तन तुरंत धोने से तापमान में बदलाव आता है , जिससे टेफ्लॉन परत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।  इसलिए बर्तन को थोड़ा ठंडा होने दें।  यदि जल्दी न धो पाएं , तो ठंडा होने पर इसमें थोड़ा पानी भरकर रख लें, ताकि चिकनाई जिद्दी न हो पाए। 

*  इन बर्तनों पर कठोर साबुन इस्तेमाल नही करने चाहिए।  अधिक ब्लीच, एसिड इस्तेमाल करने से भी बचें।स्टील स्क्रबर से नॉनस्टिक न धोएं।  इसके लिए नर्म स्पॉन्ज या नायलॉन के स्क्रबर का इस्तेमाल करें। 

*  बर्तन से गंदगी या चिकनाई अच्छी तरह निकल जाए , यह सुनिश्चित करने के लिए इसे दो बार धोएं।  साथ ही इसे साफ़ कपड़े से पोंछकर रखें।  गीले बर्तन को तुरंत गैस पर न रखें। 

*  इन बर्तनों को किचन रैक्स के हुक्स पर लटकाएं।  यदि जगह न हो, तो इन्हें  रसोई की अलमारी में भी रख सकते हैं , लेकिन ध्यान रहे कि ये किसी दूसरे बर्तन से न टकराएं।  किसी अन्य धातु से टकराना और उनके साथ रखा जाना ठीक नहीं। 

*  अलमारी में बर्तन रखें, तो नीचे नर्म कपड़ा या किचन टॉवल बिछा दें।  चाहें तो बर्तनों के बीच भी किचन टॉवल या नैपकिन लगाएं, ताकि किसी दूसरे बर्तन से टकराने पर इनमें खरोंच न पड़े। 

*  यदि चिकनाई की परत बहुत जिद्दी हो, तो इस तरीके को अपनाएं - पैन को पानी से भर लें।  इसमें आधा कप सिरका मिला दें।  इस मिश्रण को गर्म होने के लिए रखें।  जैसे ही यह मिश्रण खौलने लगेगा, चिकनाई की परत ऊपरी तल पर आ जाएगी।  इस चिकनाई को कप या चम्मच की मदद से अलग कर लें।  बचे हुए पानी को फेंक दें।  अब गुनगुने पानी व लिक्विड साबुन का मिश्रण बना लें और स्पॉन्ज की मदद से पैन धोएं।  नर्म कपड़े से पोंछ लें। 

*  रगड़कर नॉनस्टिक बर्तन साफ़ न करें।  एक बार टेफ्लॉन परत निकलना शुरू हो गई, तो उसमें खाना पकाना सेहत के लिहाज से ख़तरनाक साबित हो सकता है। 

*  गर्म पैन में ठंडे तेल से खाना नही चिपकेगा।  नॉनस्टिक में तेल डालकर गर्म करने के बजाय, उसे पहले अच्छी तरह से गर्म करें फिर तेल डालें। 

How To Detect Hidden ( Secret ) Camera In Trial Room

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महिलाओं के लिए असुरक्षित बन रहे ट्रायल / चेंजिंग रूम मन में कई सवाल खड़े कर देते हैं।  स्टोर कितना ही लोकप्रिय और बड़ा क्यों न हो, अपनी तरफ से पूरी जांच करना आपकी जिम्मेदारी है।  अपनी सुरक्षा के लिए किसी और पर निर्भर रहने के बजाय ख़ुद सतर्क रहे। ट्रायल रूम आपकी सुविधा के लिए है , लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले जांच ले। इसलिए कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखें.......

*  ट्रायल रूम में कदम रखते ही पूरी तरह से निरक्षण करें।  कहीं कुछ भी संदेहास्पद लगे, तो उसकी तह तक जाएं।  कमरे के हर कोने को ग़ौर से देखें , कहीं कोई छेद , रोशनी, लाल या हरी लाइट नजर आए, तो तुरंत बाहर निकल जाएं।  मिट बिछी हो तो उस पर भी एक बार ग़ौर फरमाएं।  यदि कमरे में पर्दे या ब्लाइंड्स लगे हों , तो उनके पीछे भी देखें और एक बार झटक लें।  और हां दरवाजे को न भूलें।  इसमें भी कोई छेद हो, तो अपना पर्स लटका दें।  दरवाजा बंद करने के बाद भी अंतराल बच रहा हो , तो चेंज न करें। 

*  न सिर्फ कैमरा, बल्कि यहां कोई इंसान भी छुपा हो सकता है, इसलिए हर जगह पर ध्यान दें।  छोटी खिड़कियों या झरोखे से भी कोई आप पर नजर रख सकता है, इसलिए इनका निरीक्षण करना न भूलें।  कोई स्टूल या कुर्सी रखी हो , तो चढ़कर देख लें।  यदि ट्रायल रूम में लगी लाइट के स्विच अंदर ही मौजूद हों, तो एक बार उन्हें बंद करके भी देखें।  अंधेरे में छिपे कैमरे की लाइट तुरंत नजर आ जाएगी। 

*  ट्रायल रूम में जाते ही मोबाइल से फोन लगाकर देखें।  इतनी छोटी सी जगह में कैमरे की मौजूदगी से फोन कॉल में बाधा आएगी , जिससे समझना आसान होगा कि यहां कुछ गड़बड़ है।  मोबाइल में टॉर्च हो, तो उससे भी ग़लत इरादों का पता लगा सकती हैं।  लाइट बंद करके हर आईने पर टॉर्च की रोशनी डालें।  यदि कोई गड़बड़ हुई , तो आप इसे तुरंत पकड़ पाएंगी। 

*  टू -वे मिरर में एक तरफ प्रतिबिम्ब नज़र आता है, वहीं दूसरी तरफ़ से इसके पार देखा जा सकता है।  ट्रायल रूम में बहुत ज्यादा रोशनी होती है , वही दूसरी तरफ एकदम अंधेरा , जहां सम्भव है कोई बैठा भी हो सकता है।  इसलिए आईने की सही जांच बेहद महत्वपूर्ण है।  आईने पर अपनी उंगली रखें।  यदि उंगली और इसके प्रतिबिम्ब में थोड़ी दूरी नजर आ रही है, तो वह आइना सही है।  यदि ये दोनों चिपके हुए नज़र आएं, तो तुरंत बाहर निकल जाएं।  दोनों हाथों से चेहरा छुपाकर आईने के बहुत नजदीक जाएं और देखें कि उसके पार कोई खड़ा तो नहीं। 

ये बड़े मुश्किल और समय लेने वाले कार्य लगते हैं , लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए छोटे - छोटे क़दम लेने से पीछे न हटें।  हमेशा सतर्क रहें। 

Menstural Cycle Or MC Periods ( Maasik Dharma ) Pain Gharelu Nuskhe In Hindi

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मासिक धर्म के पास आते ही कमर, पेट व पैरों में दर्द की शिकायत कई महिलाओं को होती है। पीएमएस, यानी प्री -मेन्स्चुरल सिंड्रोम में मासिक चक्र से एक या डेढ़ सप्ताह पहले दर्द की समस्या शुरू हो जाती हैं।  कई महिलाओं को तो माहवारी के दौरान भी इन तक़लीफ़ो से जूझना पड़ता है।  ऐसे में एक के उप्र एक दवाएं लेने के बजाय घरेलू उपचार अपनाकर देखें।  इनसे दुष्प्रभावों का डर भी नहीं रहेगा और जल्द राहत भी मिलेगी। 

अजवायन 
रसोई में मौजूद अजवायन इन दिनों को बहुत आसान बना सकती है।  एक कप पानी गर्म कीजिए, इसमें एक चम्मच अजवायन डालकर उबलने दें। लगभग पांच मिनट उबलने के बाद गैस बंद कर दें।  इसे छानकर पी लें। उबालना न चाहें , तो आधा चम्मच अजवायन मुंह में डालकर गुनगुना पानी पी लें।  भुनी अजवायन एक कप गर्म दूध के साथ लेने से भी राहत मिलेगी। 

सौंफ 
अजवायन की तरह सौंफ भी इस दर्द से छुटकारा दिलाने में मददगार है। एक गिलास पानी में एक चम्मच सौंफ डालकर पांच मिनट तक उबालें।  मिश्रण गुनगुना हो जाए, तो सौंफ अच्छी तरह मसल लें और पानी छान लें। अब इसमें एक  चम्मच शहद मिलाकर पी लें।  मासिक धर्म शुरू होने से तीन दिन पहले हर रोज दो बार यह पानी पीने से राहत मिलती है। 

नीम 
इस दर्द में नीम का कोई सानी नहीं।  नीम की 8 से 10 पत्तियों का थोड़े से पानी की मदद से पेस्ट बना लें।  इस पेस्ट को गुनगुने पानी के साथ पी लें।  नीम दर्द में राहत देने के अलावा इन दिनों होने वाले इंफेक्शन से भी बचाता है।  इस समय नीम की कच्ची कोंपल भी बड़ी लाभदायक है।  इसे पानी के साथ गटक लें या कच्चा चबा लें , असर जल्द दिखेगा। 

तुलसी 
इस दर्द में तुलसी के पत्तों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।  एक कप पानी में एक चम्मच तुलसी के पत्ते उबाल लें।  दर्द के दौरान हर दो घंटे बाद यह पानी पिएं।  ध्यान रखें कि पानी गुनगुना रहे , इसे बहुत ठंडा होने न दें।  रोजाना तुलसी की ताजा पत्तियां अपने खाने में लें व सुबह की चाय में भी डालें। 

एलोवेरा 
जानकारों के अनुसार एलोवेरा जूस इन दिनों में सबसे जल्दी राहत प्रदान करता है।  बाजार में यह आसानी से मिल जाता है। एलोवेरा जूस के साथ एक चम्मच शहद मिलाएं और इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें।  यह मिश्रण इन दिनों होने वाले रक्तस्राव को सामान्य रखता है।  न केवल मासिक धर्म के दौरान, बल्कि इसका सेवन सप्ताह में दो से तीन बार यूं भी फ़ायदेमंद है। 

अदरक 
दर्द को कम करने में अदरक भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।  इन दिनों होने वाली कमजोरी और थकान में तरोताजा करने का गुण भी है अदरक में।  इसका छोटा टुकड़ा कीस लें।  एक कप पानी में किसी अदरक डालें और पांच मिनट के लिए उबाल लें।  छानकर इसमें एक चम्मच शहद और स्वादानुसार नींबू का रस मिलाएं।  चाय की जगह पर इसका सेवन करें।  इस चाय को दिन में तीन बार लें।  इसके अलावा दालचीनी भी लाभप्रद है , एक कप पानी में एक चौथाई चम्मच दालचीनी उबाल लें।  ठंडा होने के बाद इसे पी लें।  इसे शुरुआत के तीन दिन पिएं। 

आयरन 
इस दौरान  है। अपने खान -पान पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।  कोशिश करें कि आयरन से भरपूर सब्जियां, फल आदि खाएं।  अधिक कैफ़ीन व चाय लेने से बचें।  इस दौरान जंक फूड , अत्यधिक वसा वाला आहार भी न लें।  यदि रोजाना जिम, योग क्लास आदि जाती हैं तो इस दौरान शरीर को थोड़ा आराम दें।  हां , छोटी छोटी सैर पर आप जा सकती है।  यदि पेट या कमर में बहुत दर्द हो रहा हो, तो पानी के गर्म बैग से भी राहत पा सकती हैं। 

Anemia Diet Recipes In Hindi| Anemia Diet Food

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यदि आप या आपके परिवार का कोई व्यक्ति एनीमिया से पीड़ित है, तो इन व्यंजनों का सेवन इससे लड़ने में मददगार साबित हो सकता है।  ये एनीमिया के स्वादिष्ठ उपचार हैं।

1.बाजरा खिचड़ी
सामग्री
1 कप बाजरा, 3 बड़े चम्मच पीली मूंग दाल, 1/4 कप चावल, 1 चम्मच जीरा, 1/2 चम्मच हींग, 1 चम्मच हल्दीपाउडर , 1/2 चम्मच अदरक लहसुन पेस्ट, 1 चम्मच घी , 2 बारीक़ कटी हरी मिर्च, स्वादानुसार नमक, 1/2 कप बारीक़ कटी गाजर, प्याज व मटर इच्छा अनुसार, सजाने के लिए काजू।

विधि
बाजरे को अच्छी तरह साफ़ करके गुनगुने पानी में एक घंटे के लिए भिगोकर रख दें। एक घंटे बाद साफ़ कपड़े पर इसे फैलाकर रख दें।  अब मिक्सर में बाजरे को दरदरा पीस लें।  पिस जाने पर बाजरे का छिलका ऊपर आ जाएगा।  उसे साफ़ कर लें।  अब प्रेशर कूकर को आंच पर रखें और घी गर्म करें।  घी गर्म होने पर जीरा डालें और तड़काए।  एक एक करके हल्दी पाउडर, हींग, कटी हरी मिर्च और अदरक लहसुन पेस्ट व प्याज डालें।  सुनहरा होने तक पकाएं।  पकने पर बारीक़ कटी गाजर व मटर डालें और मिलाएं।  अब मूंग दाल, चावल और बाजरे को इस मिश्रण में मिलाएं। आवश्यकतानुसार पानी व नमक मिलाएं और ढक्कन लगा दें।  3 सीटी आने दें या 25 मिनट तक पकाएं।  गर्मागर्म खिचड़ी पर घी और काजू डालकर परोसें।  पौष्टिकता बढ़ाने के लिए उबले हुए काले चने भी डाल सकते हैं।


2.खजूर मिल्कशेक
सामग्री
1/2 लीटर दूध, 10 खजूर, 1/2 कप क्रीम, 2 चम्मच शहद , 2 चम्मच मिले जुले मेवे और आवश्यकतानुसार बर्फ।

विधि
ब्लेंडर में सारे खजूर, आधा कटोरी दूध, शहद क्रीम व बर्फ डालकर 1 मिनट के लिए ब्लेंड करें।  अब शेष बचा दूध ब्लेंडर में डालें और 1 मिनट ब्लेंड करें। तैयार शेक को गिलास में निकाले और ऊपर से कटे मेवों से सजाकर सर्व करें।  चाहें तो स्वाद के लिए इसमें ऊपर से थोड़ी आइसक्रीम भी डाल सकते हैं।  यदि खजूर कड़क हों , तो उन्हें बारीक़ काटकर थोड़ी देर के लिए दूध में भिगो दें। 


3.पौष्टिक पोहा 
सामग्री 
2 कप पोहा, 1/4 कप अंकुरित मोठ (साबुत मूंग ),1/4 कप भुनी मूंगफली, 1/2 कप बारीक़ कटे प्याज, 1 बारीक़ कटी हरी मिर्च, 2 चम्मच नींबू का रस , 1/2 चम्मच तेल, 1/2 चम्मच जीरा/राई, 1/2 कप मटर, 2 चम्मच बारीक़ कटा हरा धनिया और स्वादानुसार नमक। 

विधि 
मोठ को साफ करके गुनगुने पानी में लगभग 4 घंटे के लिए भिगोकर रखें। अब मोठ को प्रेशर कुकर में नमक व पानी डालकर पका लें।  पोहा धो लें और पानी निथार कर रख दें, ताकि यह नर्म हो जाए।  कड़ाही में तेल गर्म करें।  तेल गर्म होने पर जीरा तड़काएं।  अब हरी मिर्च व प्याज डालें और सुनहरा होने तक पकाएं।  इस मिश्रण में पकी हुई मोठ डालें और मिलाएं।  भिगा हुआ पोहा इस मिश्रण में डालें और मिलाएं।  आवश्यकतानुसार नमक और नींबू का रस डालें।  अच्छी तरह से मिलाएं और हरे धनिए से सजाकर सर्व करें।  पौष्टिकता बढ़ाने के लिए पोहे में भुने चने भी मिला सकते हैं। 


4.मिलीजुली भेल 
सामग्री 
1 कटोरी भुने हुए काले चने, 2 कटोरी मुरमुरे/परवल/लाई , 1 चम्मच किशमिश, 2 बारीक़ कटे टमाटर, 1 बारीक़ कटा प्याज, 2 बड़े चम्मच नींबू का रस, 1 बारीक़ कटी हरी मिर्च , हरी चटनी, 1/2 चम्मच तेल, 1/2 कटोरी बारीक़ कटा हरा धनिया, 1/2 कटोरी बारीक़ सेव , चुटकीभर हल्दी पाउडर और स्वादानुसार नमक। 

विधि 
कड़ाही में तेल गर्म करें और हल्दी पाउडर डालें। अब मुरमुरे डालकर अच्छी तरह भून लें।  आंच बंद कर दें और मुरमुरे ठंडे होने दें।  अब एक बड़े बोल में मुरमुरे , भुने काले चने , टमाटर , प्याज, हरी मिर्च, हरा धनिया, किशमिश, हरी चटनी,नमक और नींबू का रस डालें और अच्छी तरह मिलाएं।  ऊपर से हरा धनिया डालें और सर्व करें। 

Anemia Symptoms, Causes , Treatment In Hindi | Anemia Articals

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शरीर में कई आवश्यक पौष्टिक तत्वों जैसे फॉलिक एसिड, आयरन, विटामिन बी -12 आदि के अभाव से हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कणिकाएं सामान्य से बहुत कम हो जाती है।  इसके चलते एनीमिया होने की सम्भावनाएं बढ़ जाती है, जिसे रक्ताल्पता भी कहते है।  एनीमिया को अनदेखा करना जानलेवा भी साबित हो सकता है।  आंकड़ों की मानें , तो भारत की महिलाओं में आधी से ज्यादा, यानी 50 प्रतिशत आबादी एनीमिया की शिकार है। इसके मुख्य लक्षण है - जल्दी थकान महसूस करना , उठने बैठने में चक्कर आना , त्वचा में पीलापन, सांस लेने में तकलीफ व सांस फूलना, सीने में दर्द, तलवों और हथेलियों में ठंडापन, भूख की कमी,  एकाग्रता की कमी, पढ़ने में मन न लगना आदि।  आम भाषा में खून की कमी कहलाने वाली यह समस्या बच्चों में भी हो सकती है , जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती है।

अगर एनीमिया का कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा हो , तो तुरंत डॉक्टर को दिखाकर हीमोग्लोबिन की जांच करवाएं।  यह रोग महिलाओ. बच्चों व बुजुर्गो को जल्दी घेरता है, इसलिए सतर्कता बरतें।  यह एक ऐसा रोग है , जिसका उपचार दवाइयों से ज्यादा बेहतर खान -पान से हो सकता है।  यदि आप एनीमिया के लक्षण देख रहे हों , तो इन बातों का ख्याल रखें......

*  एनीमिया लोगों को लौह तत्वों की पूर्ति करने वाले भोजन जैसे भुने चने, पोहा, काला चना, तिल, खजूर, किशमिश, मुनक्का, हरी पत्तेदार सब्जियों आदि का खूब सेवन करना चाहिए। 

*  आहार में लिए जा रहे लौह तत्व के अवशोषण के लिए भोजन के साथ या तुरंत बाद किसी खट्टी चीज का सेवन करना जरूरी है।  इसलिए आंवले, अमरुद या हरी मिर्च व नींबू की चटनी खाने के साथ खाएं।  सलाद व सब्जियों पर नींबू का रस डालना न भूलें।  खाने के बाद आंवला कैंडी या मौसम्बी जैसे खट्टे फलों का सेवन करें। 

*  मेवों में खजूर व किशमिश एनीमिया लोगों के लिए वरदान माना जाता है।  अपनी दिनचर्या में इन्हें जरूर शामिल करें। 

*  बच्चों के लिए दूध को सम्पूर्ण आहार बनाने के लिए उसमें किशमिश / खजूर या मुनक्का अवश्य डालें। 

*  भुना चना बेहद पौष्टिक है।  जिस भी व्यंजन में इसका इस्तेमाल सम्भव हो , जरूर करें। 

*  लोहे की कड़ाही में सब्जियां बनाएं।  यह भी काफी हद तक मददगार होगा। 

*  मूंग, तिल, बाजरे का सेवन सहायक होगा। 

*  भुने चने व गुड का सेवन करें।  यह मिश्रण हीमोग्लोबिन बनाता है। 

*  अगर एनीमिया ठीक करने के लिए गोलियां खा रहे हैं , तो दूध या दूध की बनी हुई चीजों के साथ न लें। 

How To Make Car AC Better Life

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गर्मी के दिनों में कार का एयरकंडीशनर शायद ही कोई बंद करना चाहेगा।  इस उमस में हर कोई चाहता है कि कार का एसी पूरी कार्यकुशलता से अपना काम करता रहे।  इसके लिए आपको कुछ आसान से उपाय करने होगे। 

*  अपेक्षाकृत फास्ट कूलिंग के लिए शुरूआती कुछ मिनटों तक एसी को ऑन करके, फैन हाईस्पीड पर रखें और खिड़कियां खुली रखते हुए कार चलाएं।  इससे कार में मौजूद गर्म हवा बाहर निकल जाएगी।  अब खिड़कियां बंद कर लें और कुछ मिनटों तक रिसर्कुलेट पोजिशन में ट्रैवल करें।  इसके बाद एयर सप्लाई को सामान्य पोजिशन में ट्रैवल करें।  इसके बाद एयर सप्लाई को सामान्य पोजिशन में रखें।  फैन को भी जरा धीमा कर लें। 

*  भीतर का तापमान बहुत ठंडा न रखें।  कार के अंदर और बाहर के तापमान में ज्यादा अंतर होने पर ईंधन की खपत बढ़ जाती है।  

*  उपयोग में न होने पर भी हफ्ते में कम से कम एक बार एसी को ऑन जरूर करें।  इससे एसी की रेफ्रिजरेट गैस लीक नहीं होगी। 

*  कार से उतरने के पांच से दस मिनट पहले ही एसी बंद कर दें।  इससे  एवापोरेटर में मौजूद बैक्टीरिया  कार में बासी हवा  नहीं फैलाएंगे।  

Articals Of Charan Sparsh (feet to touch) In Hindi

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हमारी भारतीय संस्कृति में अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना एक सद्गुण माना गया है। अथर्ववेद में भी बड़ों को प्रणाम की महत्ता को बताया गया है।  प्राचीनकाल से ही माता-पिता , गुरुओं , बड़े - बुजुर्गो आदि के चरण स्पर्श करने की परम्परा रही है।  कोई व्यक्ति कितना ही क्रोधी स्वभाव का हो, अपवित्र भावनाओं वाला हो यदि उसके भी चरण स्पर्श किए जाते हैं तो उसके मुख से आशीर्वाद,दुआएं, सदवचन ही निकलता है।  मनुष्य के शरीर में उत्तरी ध्रुव यानी सिर से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव यानी पैरों की ओर प्रवाहित होती है और पैरों में ऊर्जा का केंद्र बन जाता है।  हाथों और पैरों की अंगुलियों और अंगूठों के पोरों में यह ऊर्जा सर्वाधिक रूप से रहती है।  सामान्य तौर पर जब हम किसी का चरण स्पर्श करते है उसके हाथ सहज ही हमारे सिर पर जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिससे ज्ञान, विवेक का विकास सहज होने लगता है। 

*  जब भी हम मंदिर जाते है तो वहां ताम्रपात्र में रखा तुलसी दल, केसर, चंदन से बना चरणामृत प्रसाद के रूप में पाते है।  चरणामृत वह तत्व है जो ऊर्जा, उत्साह , शक्ति और दीर्घायु प्रदान करता है। 

*  गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या शाप के कारण पत्थर की मूरत बन गई थी और भगवान राम के चरण स्पर्श से शाप मुक्त होकर वापिस मानव रूप में आई थी।  प्रभु के चरणों की महिमा का बखान हर ग्रंथ में है। 

*  प्राचीन समय में जब ऋषि , मुनि, योगी या संतजन किसी राज दरबार में आते थे तो राजा - महाराजा पहले शुद्ध जल से उनके चरण धोते थे। उसके बाद ही चरण स्पर्श की परंपरा पूर्ण करते थे।  चरण स्पर्श से पहले चरण धोने के पीछे संभवत यह वैज्ञानिक कारण रहा होगा कि चरणों में एकत्रित विद्युत - चुंबकीय ऊर्जा चलकर आने से अत्यधिक तीव्रता से प्रवाहित है और गर्म है। शीतल जल से धोने से यह सामान्य अवस्था में आ जाती है।  फिर जो व्यक्ति चलकर आता है , उसकी मानसिक और शारीरिक थकान, बेचैनी के कारण वह आशीर्वाद देने की स्थिति में नहीं होता है।  जल से प्रक्षालन से वह भी सामान्य स्थिति में आ जाता है। 

*  वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत है कि पैर के अंगूठे में ऊर्जा शक्ति के रूप में रहती है और चरण छूने से सामने वाले में समाहित होती है।  अंगूठे में कुछ ऐसी ग्रंथियां होती है जो जिनके ऊपर यदि चोट लग जाए तो गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। 

*  मनुस्मृति के अनुसार जो व्यक्ति, प्रतिदिन अपने बड़ों के चरण स्पर्श करता है उसकी आयु, बल ,विद्या और यश में सदा  वृद्धि होती है। 

Weight Loss Easy Tips In Hindi

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अक्सर वजन घटाने के लिए हम तरह - तरह के व्यायाम करते है लेकिन कुछ खाद्ध्य  पदार्थ ऐसे होते है जिन्हें खाने से आपकी कैलोरी अपने आप बर्न होने लगती है। 

*  प्रोसेस्ड फूड के बजाय साबुत अनाज खाने से शरीर में मौजूद कैलोरी दोगुनी तेजी से घटती है, खासकर उन अनाजों से जिनमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। 

*  लाल मिर्च या काली मिर्च शरीर को गर्म रखती हैं, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है और अधिक बर्न होती है।  इन्हें पकाकर या पाउडर बनाकर खाएं। 

*  एक दिन में चार कप ग्रीन टी पीने से आठ हफ्तों में छह पाउंड के करीब वजन कम हो जाता है।  इसमें 'ईजीसीजी ' पाया जाता है जो मेटाबॉलिज्म को तेज करता है। 

*  कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डेयरी प्रोडक्ट्स मांसपेशियों को मजबूत कर मेटाबॉलिज्म को भी सही रखते है। 

*  एक कप मसूर की दाल हमारे शरीर में आयरन की 35 फीसदी आवश्यकता को पूरा करती है।  शरीर में आयरन की कमी से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। 

Foot Care Hindi Tips In Mansoon Season

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बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी होती है पैरों को लेकर।  पैर गंदगी सहन करते हैं।  इनकी देखभाल खास जरूरी है 

*  पैरों के नाखून काटकर उन्हें सही शेप दें।  उसके बाद कॉटन बॉल की मदद से एनेमल साफ करें।  इससे नाखूनों की ऊपरी परत चमक जाएगी। 

*  नाखून साफ करने के बाद पैरों को अच्छा सा फुट बाथ दें।  इसके लिए टब में गुनगुना पानी भर दें।  उसमें एप्सम सॉल्ट या सी साल्ट डालें , कुछ बूंद एसेंशियल ऑयल की डालें।  अब इस मिश्रण में पैर को 15 से 20 मिनट के लिए डाल कर रखें।  इसके बाद पैरों की हल्के - हल्के मालिश करें। 

*  पैरों को पानी में से निकालकर तौलिए से हल्के हाथों से पोंछे।  उसके बाद पैरों में क्यूटिकल क्रीम या ओलिव ऑयल लगाएं। 

*  पैरों को प्यूमिक स्टोन या पैड से साफ करें ताकि पैरों की त्वचा और नाखून से अतिरिक्त तेल साफ हो जाए।उसके बाद फुट स्क्रब ( स्क्रब बनाने के लिए एक चम्मच ओलिव आयल को कप एप्सम सॉल्ट में मिलाएं ) लगाएं।  फिर पांव और एड़ियों की अच्छे से मालिश करें।  पैरों को साफ करें और उसके बाद क्यूटिकल स्टिक्स से नाखूनों की क्यूटिकल को पीछे की ओर धकेलें। 

*  जब स्क्रबिंग पूरी हो जाए तब पैरों को अच्छी तरह धो लें।  उसके बाद पैरों में मॉइश्चराइजर लगाएं।  इससे पैरों की त्वचा नम होती है और कोमल बनती है।  पैरों को अच्छे से मॉइश्चराइजर करने से पैरों में खून का दौरा भी सही रहता है और एड़ियां भी नहीं फटती।  

*  पपीते के छिलकों को सुखाकर और पीसकर चूर्ण बना लीजिए।  इस चूर्ण में ग्लिसरीन मिलाकर दिन में दो  बार फटी हुई एड़ियों पर लगाएं।  इससे फटी एड़ियों में फायदा होता है। 

Hair Care Tips In Mansoon Season In Hindi

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बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी होती है बालों को लेकर।  बाल चिपचिपे हो जाते हैं ।  इनकी देखभाल खास जरूरी है

*  यह बिल्कुल भी न सोचें कि बारिश का मौसम है तो रोजाना बाल धोने की क्या जरूरत है या भीग गए तो बाल अपने आप धूल गए। बारिश का गंदा पानी बालों को खराब कर सकता है।  इसलिए बारिश में भीगने के बाद तो तुरंत साफ पानी और शैम्पू से बालों को धो लें।  मानसून के दिनों में हफ्ते में कम से कम दो या तीन बार माइल्ड शैम्पू से बाल धोएं और कंडीशनर करें।  इसके अलावा गुनगुने नारियल तेल से बालों की मालिश जरूर करें।

*  आपने कई बार लोगों को बारिश में भीगकर नाचते हुए देखा होगा लेकिन आप ऐसा बिल्कुल न करें।  अक्सर लोग बिना कुछ सोचे समझे बारिश में नहाने चल देते हैं लेकिन बारिश के पानी के सीधे संपर्क में आने से बाल खराब हो सकते हैं।  इसलिए बालों की अच्छी सेहत के लिए बारिश में न भीगे।

*  मानसून मेकओवर का सबसे सही वक्त होता है।  यह वह समय होता है, जब आप अपनी पसंद का हेयरकट ले सकती हैं।  आप चाहे तो फंकी, शार्ट हेयरकट करवाएं।  बाल छोटे हो जाएंगे तो इनकी देखभाल में भी ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

*  सुबह उठकर एक कप आंवले का ताजा रस पीएं।  इससे बाल स्वस्थ रहते हैं।

*  गुनगुने तेल से हफ्ते में दो बार सिर की मालिश करें।

*  एक पका केला लें और उसे मैश करें।  इसमें एवोकैडो का तेल अच्छे से मिला दें।  उसके बाद इस मिश्रण को बालों पर लगाएं।  एक घंटे बाद बाल धो लें।  बाल मुलायम हो जाएंगे।

*  बालों को जड़ों से मजबूत रखने के लिए खूब सारे फल और सलाद खाएं।  इनसे बालों को हर तरह के विटामिन्स मिलते हैं।

*   तैलीय और मसालेदार खाने से परहेज रखें।

*  जेल और सीरम बालों में लगाने से बचें।  कलरिंग , पर्मिंग और स्ट्रेटनिंग न कराएं।  स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भी जरूरी होने पर करें। 

How To Clean Plastic Containers in Hindi

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प्लास्टिक के कंटेनर, खासकर टिफिन्स और बोतलों में कई बार बदबू हो जाया करती है।  इस तरह की बदबू आप आसानी से दूर कर सकती हैं

*  चौथाई लीटर गर्म पानी में चार बड़े चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं।
*  इस पानी में जितने हो सकें , उतने कंटेनर या टिफिन आदि डाल दें।  आप चाहें तो बेकिंग सोडा और पानी का मिश्रण इनमें भर कर भी रख सकती हैं।  इन्हें तीस मिनट तक ऐसे ही पड़ा रहने दें।
*  अच्छी तरह से साफ पानी से धो लें।  बदबू चली जाएगी।
*  अगर खाने की गंध फिर भी न जाए तो उस कंटेनर में अखबार ठूंस - ठूंस कर भर दें। ढक्कन लगा दें।  इसे ऐसे ही एक या दो दिन तक पड़ा रहने दें।  दो दिन बाद अखबार निकाले।  इसके बाद कंटेनर को और ढक्कन को गर्म पानी और साबुन से धोएं।  चाहे तो बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करें।

प्लास्टिक फूड कंटेनर लाने ले जाने में  काफी सुविधाजनक होते हैं।  ये हल्के होते हैं और आसानी से टूटते भी नहीं हैं, लेकिन इनमें निशान काफी जल्दी पड़ जाते हैं , खासकर तब जब आप कोई अम्लीय पदार्थ जैसे सॉस इसमें ले जाती हैं।

*  प्लास्टिक कंटेनर या टिफिन में खाने पीने की चीजों के धब्बे लग जाते हैं तो इन्हें ऐसे दूर करें।
*  एक बड़ा चम्मच लिक्विड क्लोरीन ब्लीच को एक कप गर्म पानी में मिलाएं। ऐसे करके इतना मिश्रण तैयार कर दें कि कंटेनर का दाग लगा हिस्सा इसमें डूब जाए।  इसे तीस मिनट तक या फिर निशान जाने तक ऐसे ही पड़ा रहने दें।  
*  कंटेनर को साबुन के गर्म पानी से धोएं।  सुखा कर पोंछ लें। 

दाग न पड़े इसके लिए टमाटर आधारित चीजें कंटेनर में भरने से पहले से कंटेनर और उसके ढक्कन पर नॉनस्टिक कुकिंग स्प्रे डालें। 

माइक्रोवेव में कोई भी कंटेनर डालने से पहले देखें कि वह माइक्रोवेव माइक्रोवेव सेफ है या नहीं।  अगर ऐसा नहीं है तो माइक्रोवेव में प्लास्टिक खराब  हो सकती है।  इससे भी उसमें बदबू आएगी और निशान पड़ जाने की आशंका रहेगी। 

Hair Wash Best Tips In Hindi| Hair Care Tips During Wash

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बाल सेहतमंद होंगे , तभी तो लहराते हुए आपकी शोभा बढ़ाएंगे।  इसलिए थोड़ी सतर्कता के साथ इनकी देखभाल करना जरूरी है। इसलिए आज में आपको कुछ आसान से टिप्स बता रही हूँ। 

*  कई महिलाएं मानती हैं कि शैम्पू बदलना नहीं चाहिए , लेकिन आपको इसका उलटा करना है।  एक ही शैम्पू बार - बार इस्तेमाल करने से बाल उसके आदी हो जाते हैं।  ऐसे में खोपड़ी पर कैमिकल्स इकट्ठा होने लगते हैं , जो आगे चलकर रुसी का कारण बनते हैं।  इसलिए हर दो महीने बाद बालों के अनुरूप शैम्पू बदल लेना चाहिए।  चाहे तो दो शैम्पू का चुनाव करें और हर दो महीनों बाद बदल - बदल कर इन्हें लगाएं। 

*  बालों में सही मात्रा में पानी मौजूद न हो , तो शैम्पू झाग नहीं बना पाता , नतीजन शैम्पू की खपत ज्यादा होती है।  यह बालों को तो रूखा करता ही है , पर साथ ही शैम्पू की बोतल भी जल्द ख़ाली करता है।  इसलिए बालों को लगभग एक मिनट के लिए अंदर तक अच्छी तरह से गीला करें फिर शैम्पू लगाएं। 

*  अधिकांश महिलाएं सिर के सामने वाले हिस्से से शैम्पू लगाना शुरू करती हैं।  इसलिए सारा शैम्पू इसी जगह लग जाता है और शेष जगह पर केवल झाग काम करता है।  नतीजन यह हिस्सा जल्द रूखा होने लगता है।  इसलिए हर बार शैम्पू अलग स्थान से लगाना शुरू करें। 

*  जल्दबाजी में महिलाएं उंगलियों से बालों में शैम्पू लगाती हैं और धो लेती हैं।  खींच - तान बालों को कमजोर बनाती है।  इन्हें भी बहुत प्यार और दुलार की जरूरत है।  इसलिए बालों में शैम्पू लगाकर उंगलियों से मसाज करें।  ध्यान रखें कि बालों को बेहद गर्म पानी से भी नहीं धोना है।  गर्म पानी खोपड़ी और बालों को रूखा बनाता है।  इसलिए गुनगुने या ठंडे पानी से ही बाल धोएं।