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Dhanteras Puja Katha In Hindi | धनतेरस पूजा कथा

Dhanteras Puja Katha In Hindi | धनतेरस पूजा कथा | Dhanteras Hindi Katha | Dhanteras Hindi Kahani | Dhanteras Story | 



कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी धन तेरस के रूप में मनाई जाती है | यह दीपावली के आने की शुभ सुचना है |

इस दिन धन्वन्तरि के पूजा का विधान है | कहते है कि  इस दिन धन्वन्तरि वैद्य समुद्र  से अमृत कलश लेकर आये थे | इसलिए धनतेरस को धन्वन्तरि जयंती भी कहते है

इस दिन घर के टूटे फूटे पुराने बर्तनो के बदले नए बर्तन खरीदते है | इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है |

एक बार भगवान विष्णु लक्ष्मीजी सहित पृथ्वी पर घूमने आये | कुछ देर बाद भगवान लक्ष्मीजी से बोले - मैं  दक्षिण दिशा की ओर  जा रहा  हूँ | तुम यही ठहरो, परन्तु लक्ष्मीजी भी विष्णुजी के पीछे चल दीं  | कुछ दूर चलने पर ईख का खेत मिला | लक्ष्मीजी एक गन्ना तोड़कर चूसने लगी | भगवान लोटे तो उन्होंने लक्ष्मीजी को गन्ना  चूसते पाया | इस पर क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दे दिया कि  तुम जिस किसान का यह खेत है उसके यह पर 12  वर्ष तक उसकी सेवा करो | विष्णु भगवान क्षीर सागर लौट  गए तथा लक्ष्मीजी किसान के यह रहकर उसे धन धन्य से पूर्ण कर दिया | बारह वर्ष पश्चात लक्ष्मीजी भगवान विष्णु के पास जाने के लिए तैयार हो गयी परन्तु किसान ने उन्हें जाने नही दिया | भगवान लक्ष्मीजी को बुलाने आये परन्तु किसान ने उन्हें रोक लिया तब विष्णु भगवान बोले- तुम परिवार सहित गंगा स्नान करने जाओ और इन कौड़ियो को भी गंगाजल में छोड़ देना तब तक मैं  यही रहूंगा |

किसान ने ऐसा ही किया| गंगाजी में कौड़ियां डालते ही चार चतुर्भुज निकले और कौड़ियां लेकर चलने को उद्धत हुए | ऐसा आश्चर्य देखकर किसान ने गंगाजी से पूछा- चार हाथ किसके हैं | गंगाजी ने किसान को बताया की ये चारो हाथ मेरे ही थे | तुमने जो मुझे कौड़ियाँ  भेट की है , वे तुम्हे किसके दी है ?

किसान बोला- मेरे घर में एक स्त्री पुरष आये हैं | वे लक्ष्मीजी और विष्णु भगवान हैं | तुम लक्ष्मीजी को मत जाने देना, नही तो पुनः निर्धन हो  जाओगे।

किसान ने घर लौटने  पर लक्ष्मीजी को नही जाने दिया तब विष्णु भगवान ने किसान को समझाया कि  मेरे श्राप के कारण लक्ष्मजी तुम्हारे रहा बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही है फिर लक्ष्मीजी चंचल है, इन्हे बड़े-बड़े नही रोक सके, तुम हठ मत करो |

फिर लक्ष्मीजी बोली-हे किसान ! यदि तुम मुझे रोकने चाहते हो तो कल धनतेरस है तुम अपने घर को स्वच्छ रखना | रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना | मैं तुम्हारे घर आउंगी| तुम उस वक्त मेरी पूजा करना परन्तु में अदृश्य रहूंगी |

किसान ने लक्ष्मीजी की बात मान ली और लक्ष्मीजी द्वारा बताई विधि से पूजा की | उसका घर धन धन्य से भर गया | इस प्रकार किसान प्रति वर्ष लक्ष्मीजी को पूजने लगा तथा अन्य लोग भी उनका पूजन करने लगे |